Tanhaaiya
Anurag Dubey, Deepak Adhikari
क्यों ये तन्हाई गूँज रही है
कोई तो दे वजह
गम ही मेरे घर क्यों रुका है
टूटी मैं कुछ इस तरह
तेरे इश्क़ पे मुझको
जितना गुमान था
अब उतना ही नफरत किया
क्या ही बचा है
अब तेरे इश्क़ ने
मुझको तबाह कर दिया
अब तरस खाके मुझपे
है रोती ये तन्हाईया
तू नहीं अब तेरी जगह
लिपटी मुझसे तन्हाईया
कितनी शामे तडपा था ये दिल
तुझको न थी खबर
हर लम्हा मर के ही जिया था
तेरा इश्क़ था ज़हर हाँ ये जुदाई ना
खल रही है
जो हर दिन था मिलता रहा
थी मेरी गलती
या थी उमीदें
यह दिल रोज़
जलता रहा
अब तरस खाके मुझपे
है रोती ये तन्हाईया
तू नहीं अब तेरी जगह
लिपटी मुझसे तन्हाईया