Manmaani
HIMANSHU KOHLI, YUG BHUSAL
क्या मैं निकल रही हू आयेज वक़्त से
जाके पीछे करलू मैं पूरी ख्वाहिशें
क्या मैं निकल रही हू आयेज वक़्त से
जाके पीछे करलू मैं पूरी ख्वाहिशें
राहें हैं और मैं हूँ
इन राहों में मैं गुम कहीं
मनमानी मनमानी
कुछ तो कहानियाँ
यह थोड़ी सी करने लगी
अंजनी अंजनी सी राहें
शतानियाँ ये थोड़ी सी करने लगी
क्यूँ यह कदम नही संभाल रहे मेरे
जाने कहा मैं चल रही हू झूमते हुए
क्यूँ यह कदम नही संभाल रहे मेरे
जाने कहा मैं चल रही हू झूमते हुए
बातें हैं और मैं हूँ
इन बातों में मैं गुम कहीं
मनमानी मनमानी
कुछ तो कहानियाँ
ये थोड़ी सी करने लगी
अंजनी अंजनी
सी राहें शतानियाँ
ये थोड़ी सी करने लगी