Wahi Hain Raste

Javed Akhtar

खाली खाली दिल
गूँजे तेरे नाम से
लगें सारे पल
नाकाम से
तेरे बिन हूँ तन्हा तन्हा
तुझसे कहूँ कैसे

वो ही हैं रस्ते वो ही हैं घर
वही जीने के समान
तुम थे तो जैसे ज़िंदा थे सारे
तुम बिन लगें बेज़ान
हर चीज़ मुझसे पूछे
तुम हो कहाँ
फ़ासले क्यूँ बढ़े
दूरियाँ जब नहीं
है यक़ीन आज भी(ओ ओ ओ)
पर सुकून अब नहीं(ओ ओ ओ)

फ़ासले क्यूँ बढ़े
दूरियाँ जब नहीं
है यक़ीन आज भी
पर सुकून अब नहीं

वो ही हैं रस्ते
वो ही हैं घर
वही जीने के समान

वो ओ ओ ओ वो ओ ओ ओ ओ ओ
दिल पर भारी कदमों से चलते
तन्हाइयों के हैं लम्हे
फीके दिन और सूनी रातें
सोचे तुम्हारी ही बातें
वो
सुबह को लाना शाम तक लगता नहीं आसान
खोने लगी है अब ये ज़िंदगी खुशियों की हर पहचान

फ़ासले क्यूँ बढ़े
दूरियाँ जब नहीं
है यक़ीन आज भी(ओ ओ ओ)
पर सुकून अब नहीं(ओ ओ ओ)

फ़ासले क्यूँ बढ़े
दूरियाँ जब नहीं(आ आ हा हा)
है यक़ीन आज भी(आ आ आ आ )
पर सुकून अब नहीं(आ आ आ आ)

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