Ajnabi

Ajay Govind

एक अजनबी ख़याल ने
किसी की मध भरी निगाह ने
मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया
की देखो क़ैद कैसे कर दिया
एक अजनबी ख़याल ने
किसी की मढ़ भारी निगाह ने
मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया
की देखो क़ैद कैसे कर दिया

था कितनी आँखो का
यूँ शोर मच रहा
की तूने इस घड़ी मुझे ही यूँ चुना
था कितनी आँखो का
यूँ शोर मच रहा
की तूने इस घड़ी मुझे ही यूँ चुना
यूँ खोया बाहों मे की कुछ अजब हुआ
ये धड़कने मेरी इन्हे ये क्या हुआ
एक अजनबी ख़याल ने
किसी की मध भारी निगाह ने
मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया
की देखो क़ैद कैसे कर दिया

यूँ मिसने जा रही है गीली रात ये
क्यू इसमे डूब के है हम बहेक रहे
यूँ मिसने जा रही है गीली रात ये
क्यू इसमे डूब के है हम बहेक रहे
ये कैसी चाहतें मुझे सता रही
मुझी से दूर यूँ मुझे बुला रही
एक अजनबी ख़याल ने
किसी की मध भारी निगाह ने
मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया
की देखो क़ैद कैसे कर दिया

वो रात चुप है जो छुआ रही है कुछ
वो चाँदनी भी तो बता रही ना कुछ
ये ख्वाहीसो का है जो अकेले चल पड़ा
कहाँ थामेगा ये कोई ना कह सका
एक अजनबी ख़याल ने
किसी की मध भारी निगाह ने
मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया
की देखो क़ैद कैसे कर दिया
एक अजनबी हम्म्म हम्म्म हम्म्म

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