Ghayal

Ajay Govind

मेरी आँखो में देखो
एक सपना बुना है
इस सपने में घायल
कोई इंसान खड़ा है

मेरी आँखो में देखो
एआक सपना बुना है
इस सपने में घायल
कोई इंसान खड़ा है
आईने पे बिखरी थी कुछ यादों की चीटें
इस सर्द फर्श पे यूँ
सिमटी उसकी यादें

हाथो की लकीरे
भटकी जा रही थी
रोंदे मेरे कल को
भागे जा रही थी
ये घायल सा सपना (ये घायल सा सपना)
जो मेरे अंदर पड़ा है (जो मेरे अंदर पड़ा है)
मुझको ख़त्म कर ये (मुझको ख़त्म कर ये)
मेरा अश्क बन गया है (मेरा अश्क बन गया है)

इस लंबे सफ़र का
कोई तो सिरा है
तेरे सपनो की हद का
यही इंतेहाँ है
इस लंबे सफ़र का
कोई तो सिरा है
तेरे सपनो की हद का
यही इंतेहाँ है
इस लंबे सफ़र का औ औ (इस लंबे सफ़र का)
कोई तो सिरा है औ औ (कोई तो सिरा है)
तेरे सपनो की हद का औ औ (तेरे सपनो की हद का)
यही इंतेहाँ है औ औ (यही इंतेहाँ है)
इस लंबे सफ़र का औ औ (इस लंबे सफ़र का)
कोई तो सिरा है औ औ (कोई तो सिरा है)
तेरे सपनो की हद का औ औ (तेरे सपनो की हद का)
यही इंतेहाँ है
वो औ औ औ वो औ औ औ वो औ औ औ
वो औ औ औ वो औ औ औ वो औ औ औ

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