Nasamajh
नासमझ वो समझता नहीं
दिल मेरा उसके बिना कहीं लगता नहीं
मैं सीने में उतारूँ
तेरी जुल्फें सवारूँ
तू आजा बैजा नेहड़े सारी
रतियाँ निहारूँ
मैं सीने में उतारूँ
तेरी जुल्फें सवारूँ
मैं काला टीका लाके
तेरी नज़रें उतारूँ
तेरी आँखों के दरिया में कूदे
भवरिया में डूबे
हाँ डूबे तो किनारा ना मिला
तेरे पीछे है हारा दिल ऐसे
बेचारा दिल ऐसे
के ढूंढा तो दुबारा ना मिला
हूँ लापता तुझमे कहीं
मुझको भी मैं अब मिलता नहीं
नासमझ वो समझता नहीं
दिल मेरा उसके बिना कहीं लगता नहीं
नासमझ वो समझता नहीं
दिल मेरा उसके बिना कहीं लगता नहीं
कल्ली कल्ली रातां तेरे
ख़्वाबां च गुज़ारी तू वि
थोड़ा जेहा याद सानु कर लेना
अस्सी रखेया छुपा के साडे
दिल विच तैनु तू वि
सानु तेरे दिल विच रख लेना
कल्ली कल्ली रातां तेरे
ख़्वाबां च गुज़ारी तू वि
थोड़ा जेहा याद सानु कर लेना
अस्सी रखेया छुपा के साडे
दिल विच तैनु तू वि
सानु तेरे दिल विच रख लेना
रख ले कहीं मुझको छुपा के तू
मुझको किसी की परवाह नहीं
नासमझ वो समझता नहीं
दिल मेरा उसके बिना कहीं लगता नहीं
कल्ली कल्ली रातां तेरे
ख़्वाबां च गुज़ारी तू वि
थोड़ा जेहा याद सानु कर लेना
अस्सी रखेया छुपा के साडे
दिल विच तैनु तू वि
सानु तेरे दिल विच रख लेना