Ishq Hai
तुम पास में आए ऐसे
तुम दिल में समाए ऐसे
फिर छू कर के जो लगाई
वो आग बुझाए कैसे
तुम पास में आए ऐसे
हम दिल ना लगाए कैसे
अब सुध बुध है ना कोई
हम होश में आए कैसे
ये रातों में यादों में तेरी कमी
तू आँखों के आगे से हॅट ती नही
मैं बारे तेरे गाने लिखता रहूं
तू जाने क्यूँ कुच्छ समझती नही
तू जचती नही बाहों में गैरे की
जो माँगे फलक तू
रखने मै ना दू ज़मीन पर ये पैर भी
के जाना तेरी आदत है दिल को
दिल पे तो रहम खाओ
अब दूर ही बैठो या फिर
सीने से लिपट जाओ
हु हु हु हु हु हु हु हु
ख़यालो में सवालो का
भवंडर बना के गये
गये जो तुम आँखों को मेरी
समुंदर बना के गये
हर दफ़ा हर दफ़ा
हर दुवा हर दुआ में
माँगता हू तुझको आज भी
जितनी भी मर्तबा, मेरा ये दिल लगा
ख्यालो में तू ही साथ थी
के जाना तेरी चाहत है दिल को
दिल पे तो रहम खाओ
अब दूर ही बैठो या फिर
सीने से लिपट जाओ
हु हु हु हु हु हु हु हु
इश्क़ इश्क़ इश्क़ है पिया
इश्क़ इश्क़ इश्क़ है पिया
इश्क़ इश्क़ इश्क़ है पिया
इश्क़ इश्क़ इश्क़ है पिया
इश्क़ इश्क़ इश्क़ है पिया
इश्क़ इश्क़ इश्क़ है पिया
आ आ आ आ