Aise Kyun [Ghazal]

Raj Shekhar

ऐसे क्यूँ कुछ तो लिखती हूँ
लिख के मिटाती हूँ मैं रात भर
ऐसे क्यूँ बातें खुद की ही
खुद से छुपती हूँ मैं आज कल

पर ये सब सोचना
दिल को यूँ खोलना
सब कुछ कह कर ही
सब को बताना ज़रूरी है क्या
ऐसे क्यूँ

ऐसे क्यूँ उसके होठों पे
अच्छा लगता है मेरा नाम
ऐसे क्यूँ कुछ भी बोले वो
मन में घुलता है ज़ाफ़रान

गिरता है गुलमोहर
ख्वाबों में रात भर
ऐसे खव्बों से बहार निकलना
ज़रूरी है क्या

ऐसे क्यूँ
हाँ क्यूँ, हाँ क्यूँ
वो कुछ बोले ना

ऐसे क्यूँ
हाँ क्यूँ, हाँ क्यूँ
वो कुछ बोले ना

अक्सर तुमसे मिलकर मुझको
घर सा लगता है
फिर क्यूँ दिल ही दिल में कोई
डर सा लगता है

अक्सर तुमसे मिलकर मुझको
घर सा लगता है
फिर क्यूँ दिल ही दिल में कोई
डर सा लगता है

बीता जो वाकेया
सोचूँ मैं क्यों भला
बीती बातों से दिल को दुखाना
ज़रूरी है क्या

ऐसे क्यूँ हाँ क्यूँ, हाँ क्यूँ वो कुछ बोले ना
ऐसे क्यूँ हाँ क्यूँ, हाँ क्यूँ वो कुछ बोले ना

Curiosidades sobre la música Aise Kyun [Ghazal] del Rekha Bhardwaj

¿Quién compuso la canción “Aise Kyun [Ghazal]” de Rekha Bhardwaj?
La canción “Aise Kyun [Ghazal]” de Rekha Bhardwaj fue compuesta por Raj Shekhar.

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