Laut Ke Ghar Jana Hai

Shakeel Azmi

याद ये भी ना रहा
लौट के घर जाना है
याद ये भी ना रहा
लौट के घर जाना है
जिस्म को छोड़ के अब
जान से गुजर जाना है
लौट के घर जाना है
लौट के घर जाना है

खवाब क्या देखें की पथराई हुई
आँख है हम
जिसमें चिंगारी भी बाकी नहीं
वो रात है हम
एक हवा आएगी और
हमको बिखर जाना है
लौट के घर जाना है

हब्र को चीर के
मंज़र पे निकलना है हमें
शाम तक मिट के हर ज़र्रे में
जलना है हमें
और फिर शब के समंदर में
उतर जाना है
लौट के घर जाना है
लौट के घर जाना है

Curiosidades sobre la música Laut Ke Ghar Jana Hai del Rekha Bhardwaj

¿Quién compuso la canción “Laut Ke Ghar Jana Hai” de Rekha Bhardwaj?
La canción “Laut Ke Ghar Jana Hai” de Rekha Bhardwaj fue compuesta por Shakeel Azmi.

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