Kisko Kahe Hum Apna

MAJROOH SULTANPURI, USHA KHANNA

किसको कहे हम अपना लोगो का वो खुदारा
किसको कहे हम अपना लोगो का वो खुदारा
दुश्मन से बढ़के निकला
जो यार था हमारा जो यार था हमारा
किसको कहे हम अपना लोगो का वो खुदारा
दुश्मन से बढ़के निकला
जो यार था हमारा जो यार था हमारा

चाहे जो हमको लूटे ऐसे तो हम नही थे
दुश्मन भी जानते है हम कम नही किसी से
चाहे जो हमको लूटे ऐसे तो हम नही थे
दुश्मन भी जानते है हम कम नही किसी से
पर क्या करे के उसने अपना बना के मारा
दुश्मन से बढ़के निकला
जो यार था हमारा जो यार था हमारा

इक और भी है जिसने खाकर वफ़ा की कसमे
जालिम ने तोड़ डाली सब दोस्ती की रस्मे
इक और भी है जिसने खाकर वफ़ा की कसमे
जालिम ने तोड़ डाली सब दोस्ती की रस्मे
नादा है हम जो समझे अपना उसे दोबारा
दुश्मन से बढ़के निकला
जो यार था हमारा जो यार था हमारा

हमको कसम है अब जो उसकी गली मे जाए
तौबा है उस तरफ जो हम आँख भी उठाए
तुम देखो या ना देखो ये दिखती यार तुमको
दिखलाएँगे तमाशा अब हम भी यार तुमको
खुल कर करो मेरी जा करते हो क्या इशारा
दुश्मन से बढ़के निकला
जो यार था हमारा जो यार था हमारा
किसको कहे हम अपना लोगो का वो खुदरा
दुश्मन से बढ़के निकला
जो यार था हमारा जो यार था हमारा

Curiosidades sobre la música Kisko Kahe Hum Apna del Mohammed Aziz

¿Quién compuso la canción “Kisko Kahe Hum Apna” de Mohammed Aziz?
La canción “Kisko Kahe Hum Apna” de Mohammed Aziz fue compuesta por MAJROOH SULTANPURI, USHA KHANNA.

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