Nazmein

Mark K Robin

मेरा एक खवाब था नज्मे मेरी उजाले देखे सुबहे के
मगर ये जिंदगी की शाम में ये जानकर
जो नज्मे मेरी रगो ऊर्जा में बहती थी
तुम्हारी उँगलियों पर अब तरने लगी हे तसल्ली हो गयी हे
में जाते जाते क्या देता तुम्हे सिवाय अल्फाज के
मगर इतनी सी खवाइश हे के मेरे बाद भी पिरोते रहना तुम
अल्फाज की लड़ियाँ
हमारी अपनी नज्मो में

Curiosidades sobre la música Nazmein del Gulzar

¿Quién compuso la canción “Nazmein” de Gulzar?
La canción “Nazmein” de Gulzar fue compuesta por Mark K Robin.

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