Raat Ki Jogan

Gulzar

रात की जोगन रात की जोगन

रात की जोगन रात की जोगन
नील अंबर से रोज़ उतरती है
चाँद का मंडल लिए गुज़रती है
रात की जोगन रात की जोगन
रात की जोगन रात की जोगन
रात की जोगन रात की जोगन

सखियों जैसी आँखों में
सपने फुक ने आती है
सखियों जैसी आँखों में
सपने फुक ने आती है
नील कटोरे आँखो के
जलवों से भर जाती है
बावरी रात की जोगन
बावरी रात की जोगन
घोस के मोती रोज़ छिड़कती है
नील अंबर से रोज़ उतरती है

क्यू उठता है रोज़ धुआ
क्यू उठता है रोज़ धुआ
क्या यह रोज़ पकाती हैं
तारो की चिंगारी यो से
सूरज सुलगाती है
बावरी रात की जोगन
रात की जोगन रात की जोगन
बावरी रात की जोगन
रात की जोगन रात की जोगन
बावरी रात की जोगन
बावरी रात की जोगन
जोगन जोगन बावरी ,जोगन जोगन बावरी ,जोगन जोगन बावरी
रात की जोगन रात की जोगन
चाँद का डाल हर रोज़ बदलती है
नील अंबर से रोज़ उतरती है
घोस के मोती रोज़ छिड़कती है
चाँद का मंडल लिए गुज़रती है

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