Ik Naql Tujhe Bhi Bhejoonga
GULZAR
इक नक़ल तुझे भी भेजूंगा
ये सोच के ही तन्हाई के निचे
Carbon paper मै रख के ऊँची ऊँची
आवाज़ में बाते करता हु
अलफ़ाज़ उतर आते है कागज़ पर लेकिन
आवाज़ की शक्ल उतरती नहीं
रातों की सियाही दिखती है
इक नक़ल तुझे भी भेजूंगा
ये सोच के ही तन्हाई के निचे
Carbon paper मै रख के ऊँची ऊँची
आवाज़ में बाते करता हु
अलफ़ाज़ उतर आते है कागज़ पर लेकिन
आवाज़ की शक्ल उतरती नहीं
रातों की सियाही दिखती है