Saye Saye
अल्ला हू अकबर अल्ला हू अकबर
अल्ला हू अकबर अल्ला हू अकबर
अश हन अल्ला
साये साये बीते दिनों के
साये गहरे वो लोट आये
लाए लाए सेहरा के जाए
रूखे ज़ज़्बात साथ लाये
पतझड़ों में झड़ गयी है अपनी हर ख़ुशी
ज़हर साँसें फूक्ति है हर पल बेबसी
खुश रंग सी सुबह
खुशबु भरी सभा
तोहफे में दे रखी थी हमको ज़िन्दगी…ने
क्यों वक़्त बेवजह
उन्हें छिन ले गया
ज़ेहमत भी न की सोचने की
ये किसी ने किसी ने
आ आ आ आ आ आ
राख हुए है जल के हमारे घोंसले
चोट खाये जख्मी है सारे होंसले
क्यों न गिरे पते नए फिर जनारों पे
हम नदियाँ क्यों न भरे दरारो पे
खुश रंग सी सुबह
खुशबु भरी सभा
तोहफे में दे रखी थी हमको ज़िंदगी
क्यों वक़्त बेवजह
उन्हें छिन ले गया
ज़ेहमत भी न की सोचने की
ये किसी ने (किसी ने)
वक़्त बेवजह
उन्हें छिन ले गया
ज़ेहमत भी न की सोचने की
ये किसी ने किसी ने