Lehrein
खोयी खोयी सी हूँ मैं
क्यों यह दिल का हाल है
धुंदली सारी ख्वाब है
उलझा हर ख़याल है
सारी कलियाँ मुरझा गयी
रंग उनके यादों में बह गए
सारे घरोंदे रेत के
लहरें आईं लेहरो मै बेह गये
राह में कल कितनी चिराग थे
सामने कल फूलों की भाग थी
इस से कहूँ कौन है जो सुने
कांटे ही क्यूँ मैन है चुने
सपने मेरे क्यूँ है खो गए
जागे है क्यूँ दिल में गुम्म मेरे
सारे कलियाँ मुरझा गयी
रंग उनके यादों में बह गए
सारे घरोंदे रेत के
लहरें आईं लेहरो मै बेह गये
न न न
क्या कहूँ क्यों यह दिल उदास है
अब कोई दूर है न पास है
छू ले जो दिल वह बातें अब कहाँ
वह दिन कहाँ रातें अब कहाँ
जो भी धखल है अब ख्वाब सा
अब दिल मेरा है बेताब सा
सारी कलियाँ मुरझा गयी
रंग उनके यादों में बह गए
सारे घरोंदे रेत के
लहरें आईं लेहरो मै बेह गये बेह गये