Bachpan
दूध की मूच्छों वाला
मूट के पेंचों वाला
दूध की मूच्छों वाला
मूट के पेंचों वाला
फुंसी करोचों वाला
बचपन भी था साला
फुंसी करोचों वाला
बचपन भी था साला
ना यादों के चक्कर थे
ना सपनों के मच्छर थे
हम ही थे अपने शहंशाह
खुद अपने अफ़सर थे
एक तू था तोड़ा टेढ़ा
एक मैं भी तोड़ा मेधा
और एक था वक़्त कबूतर
जो खिड़की पे ना ठहरा
चोर पोलीस वाला
बचपन भी था साला
तुझ जैसा बन-ना चाहा
तुझे जेब में रखना चाहा
तूने डोर से ठेंगा दिखाया
कभी हाथ ना मेरे आया
मैं रोया मैं चिल्लाया
तू हाथ ना मेरे आया
दूध की मूच्छों वाला
मूट के पेंचों वाला
लुच्छे लफंगों वाला
बचपन भी था साला
गच्ची पे सटन वाला
बचपन भी था साला
मैने साज़िश फिर कर डाली
उंगली पिस्टल बना ली
कानी आँख से आईं लगा के
धाम से गोली चला दी
और तू टपका, धूल से चिपका
रोक ली साँसें, बाज गयी ताली
वो खेल बे ओह सेयेल
सब झूट था बे ओह सेयेल
बाज़ी छ्चोड़ के जाने वाले
यह बेईमानी है
यह बेईमानी है ओह सेयेल