Heer Ranjha

Bhuvan Bam

चल ढून्ढ लाये
सारी मासून सी खुशियाँ
चल भूल जायें
फसलें दरमियाँ
किसने बनाया दस्तूर ऐसा
जीना सिखाया मजबूर जैसा
दिल रो रहा हैं
दिल है परेशान
हीर और राँझा
ये इश्क जैसा
कहते हे जो पन्ने होते नहीं पूरे करते बहुत कुछ बयाँ
मिल जाऊंगा तुझसे फिर उन किताबों में हो जहा जिक्र तेरा
तू तू
मैं और तू
तू तू
मैं और तू
किसने बनाया दस्तूर ऐसा
जीना सिखाया मजबूर जैसा
आखें मेरी सपना तेरा
सपने सुबह शाम हैं
तू है सही या मैं हु सही
किस पे ये इलज़ाम हैं
आखें मेरी सपना तेरा
सपने सुबह शाम हैं
तू है सही या मैं हु सही
किस पे ये इलज़ाम हैं
ऐसी लगन बांधे हुए हु मैं खड़ा अब वहा
जिस छोर पे था छूटा मेरा
हाथों से तेरे हाथ
जिसने हासाया जिसने रुलाया
जीना सिखाया मजबूर जैसा
जाना है जा
हैं किसने रोका
हीर और राँझा
ये इश्क जैसा
तू तू
मैं और तू
तू तू
मैं और तू

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