Saila
Avadhoot Gupte
कोई उम्मीद गर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
आयेज आती थी हाले दिल पे हसी
अब किसी बात पर नहीं आती
ना दिल में कोई हसरत हैं
ना कोई शिकवा गीला
ना दिल में कोई हसरत हैं
ना कोई शिकवा गीला
बस इतना बता दिल तोड़ के
मेरा तुझको क्या मिला
सैला सैला सैला सैला
फर्याद करू तो करू किस से
इन काफिलो के शहर में
फर्याद करू तो करू किस से
इन काफिलो के शहर में
देखती ही नहीं जलती शम्मा
रोशनी की गिरह में
सब अक्सर कहते हैं देखो
परवाना एक जला
सैला सैला सैला सैला
जेया बेवफा हैं तुझे क्या पता के
कहते हैं किसको मोहब्बत
लहरो को जो खिच किनारे से
वो कैसी होती हैं पुरबत
तू हैं बदनसीब जिसे सर
ज़मीन जन्नत ना सकूँ ना मिला
सैला सैला सैला सैला