Kaya Ka Pinjra Dole Re

RAGHUNATH SETH

काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
एक सांस का पंछी बोले

तन नगरी मन है मंदिर
परमात्मा जिस के अंदर
तन नगरी मन है मंदिर परमात्मा जिस के अंदर
दो नैन है शुद्ध समंदर अरे पापी पाप को धोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले

आने के साक्षी जाना
जाने से क्या पछताना
आने के साक्षी जाना, जाने से क्या पछताना
दुनिया मुसाफिर खाना, अब जाग जगत या सोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले

माँ बाप पत्नी पति सारे
कोई भी नहीं किसी का
माँ बाप पत्नी पति सारे, कोई भी नहीं किसी का
झगड़ा है जीते जी का,क्यूँ गुप्त भेद को खोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
एक सांस का पंछी बोले, एक सांस का पंछी बोले

Curiosidades sobre la música Kaya Ka Pinjra Dole Re del Usha Mangeshkar

¿Quién compuso la canción “Kaya Ka Pinjra Dole Re” de Usha Mangeshkar?
La canción “Kaya Ka Pinjra Dole Re” de Usha Mangeshkar fue compuesta por RAGHUNATH SETH.

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