Mehfil Men Aakar Saqi Banoon
Bappi Lahiri, Pant Ramesh
आँखो मे जलते अँगारे
सिने मे पत्थर का दिल है
हम है चोर लुटेरे डाकू
ये महफ़िल अपनी महफ़िल है
हे महफ़िल मे आकर साक़ी बनू या महबूबा
तौबा यहा तो हर कोई नशे मे है डूबा
महफ़िल मे आकर साक़ी बनू या महबूबा
तौबा यहा तो हर कोई नशे मे है डूबा
मारा किसी को लूटा किसी का
जिसने भी माल खजाना है
दुनिया से एक दिन जाना है उसको
सब कुछ यही रह जाना है
महफ़िल मे आकर साक़ी बनू या महबूबा
तौबा यहा तो हर कोई नशे मे है डूबा