Mujhe Maaf Kar
मुझे माफ़ कर ऐ दिलरुबा
मुझे माफ़ कर ऐ दिलरुबा
मैं शिकार हूँ हालात का
तू है सुबह की रौशनी
मई हु अँधेरा रात का
मुझे माफ़ कर ऐ दिलरुबा
पर कट चुके हो जिसके वह
पंछी कभी उडाता नहीं
पर कट चुके हो जिसके वह
पंछी कभी उडाता नहीं
टूट जाता है जो दिल वह
दिल कभी जुड़ता नहीं
है कबर मुझे तेरे प्यार की
है पता तेरे जजबात का
मुझे माफ़ कर
नाकाम सी यह ज़िन्दगी बस
नाम की है ज़िन्दगी
नाकाम सी यह ज़िन्दगी बस
नाम की है ज़िन्दगी
जो तेरे काम न आ सकी
किस काम की है ज़िन्दगी
मुझसे न देखा जाये है
जलना तेरा दिन रात का
मुझे माफ़ कर
तुझसे जुदा होने का गम
सह न सकूँगा तेरी कसम
तुझसे जुदा होने का गम
सह न सकूँगा तेरी कसम
आते ही वह जालिम घडी
मेरा निकल जायेगा डैम
बस आखरी होगा वह दिन
मेरी नामुराद हयात का
मुझे माफ़ कर.