Masoom Sa

Irshad Kamil

पालने मैं चांद उतरा
खूबसूरत ख्वाब जैसा
गोद में उसको उठता तो
मुझे लगता था वैसा
सारा जहाँ मेरा हुआ
सारा जहाँ मेरा हुआ
सुबह की वह पहली दुआ या
फूल रेशम का
मासूम सा मासूम सा
मेरे आस पास था
मासूम सा
मेरे आस पास था
हो मासूम सा
हो मासूम सा

एक कमरा था मगर
सारा ज़माना था वहां
खेल भी थे और ख़ुशी थी
दोस्ताना था वहां
चार दीवारों में रहती
थी हज़ारों मस्तियाँ
थे वही पट वर भी
सागर भी थे और कश्तियाँ
थे वही पट वर भी
सागर भी थे और कश्तियाँ
मेरी तो वह पेहचान था
मेरी तो वह पेहचान था
या यूँ कहो की जान था वह
चाँद आंगण का

मासूम सा मासूम सा
मेरे आस पास था
मासूम सा
मेरे आस पास था
मासूम सा
हो मासूम सा

मेरी ऊँगली को पकड़ वो चाँद चलता शहर में
ज़िन्दगी की बेरहम-सी धूप में दोपहर में
मैं सुनाता था उसे अफ़साने रंगीं शाम के
ताकि वो चलता रहे, चलता रहे और ना थके
ताकि वो चलता रहे, चलता रहे और ना थके
ना मंज़िलों का था पता, ना मंज़िलों का था पता
थी ज़िन्दगी इक रास्ता, वो साथ हर पल था
मासूम सा मासूम सा
मेरे आस पास था
मासूम सा
मेरे आस पास था
मासूम सा
हो मासूम सा

Curiosidades sobre la música Masoom Sa del Sukhwinder Singh

¿Quién compuso la canción “Masoom Sa” de Sukhwinder Singh?
La canción “Masoom Sa” de Sukhwinder Singh fue compuesta por Irshad Kamil.

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