Mai Albeli

A R Rahman, Javed Akhtar

रँगीली हो सजिली हो
रँगीली हो सजिली हो

हुँ अलबेली हो
हुँ अलबेली हो

मैं अलबेली घुमु अकेली
कोई पहेली हूँ मैं
मैं अलबेली घुमु अकेली
कोई पहेली हूँ मैं
पगली हवाएं मुझे जहां भी ले जाए
इन हवाओ की सहेली हूँ मैं

तू है रँगीली हो
तू है सजीली हो

हिरनी हुँ बन में कलि गुलशन में
शबनम कभी हूँ मैं, कभी हूँ शोला
शाम और सवेरे सौ रंग मेरे
मैं भी नहीं जानूँ आखिर हु मैं क्या

तू अलबेली, घूमे अकेली
कोई पहेली है तू
पगली हवाएँ तुझे जहाँ भी ले जाए
इन हवाओं की सहेली है तू

तू अलबेली, घूमे अकेली
कोई पहेली
पहेली

मेरे हिस्से में आई हैं कैसी बेताबियाँ
मेरा दिल घबराता है मैं चाहें जाऊं जहां
मेरे हिस्से में आई हैं कैसी बेताबियाँ
मेरा दिल घबराता है मैं चाहें जाऊं जहां
मेरी बेचैनी ले जाए मुझ को जाने कहाँ
मैं इक पल हूँ यहाँ
मैं इक पल हूँ यहाँ
मैं हूँ इक पल वह

तू बावली है तू मनचली है
सपनों की है दुनिया जिस में तू है पली

मैं अलबेली घुमु अकेली
कोई पहेली हूँ मैं (तू अलबेली ओ)
मैं अलबेली घुमु अकेली
कोई पहेली हूँ मैं
पगली हवाएं मुझे जहां भी ले जाए
इन हवाओ की सहेली हूँ मैं

तू है रँगीली हो
तू है सजीली हो

हिरनी हुँ बन में कलि गुलशन में
शबनम कभी हूँ मैं, कभी हूँ शोला
शाम और सवेरे सौ रंग मेरे
मैं भी नहीं जानूँ आखिर हु मैं क्या

हो हो
तू अलबेली हो

मैं वो राही हूँ जिसकी कोई मंज़िल नहीं
मैं वो अरमान हो जिस का कोई हासिल नहीं
मैं हु वो मौज की जिस का कोई साहिल नहीं
मेरा दिल नाज़ुक है
मेरा दिल नाज़ुक है पत्थर का मेरा दिल नहीं

तू अन्जानी तू है दीवानी
शीशा लेके पत्थर की दुनिया में है चली
तू अलबेली घुमे अकेली
कोई पहेली है तू
पगली हवायें तुझे जहां भी ले जाएँ
इन हवाओ की सहेली है तू

मैं हूँ रँगीली हो हो
मैं हूँ सजीली हो हो हो
हिरनी हुँ बन में कलि गुलशन में
शबनम कभी हूँ मैं, कभी हूँ शोला
शाम और सवेरे सौ रंग मेरे
मैं भी नहीं जानूँ आखिर हु मैं क्या

रँगीली हो सजिली हो
रँगीली हो सजिली हो
रँगीली हो सजिली हो
रँगीली हो सजिली हो

Curiosidades sobre la música Mai Albeli del Sukhwinder Singh

¿Quién compuso la canción “Mai Albeli” de Sukhwinder Singh?
La canción “Mai Albeli” de Sukhwinder Singh fue compuesta por A R Rahman, Javed Akhtar.

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