Pathar Sulag Rahe The
पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे
परच्छाईयो के शहर की तन्हाइया ना पुच्छ
परच्छाईयो के शहर की तन्हाइया ना पुच्छ
अपना शरीक-ए-गम कोई अपने सिवा ना था
अपना शरीक-ए-गम कोई अपने सिवा ना था
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे
पत्तो के टूटने के सदा घुट के रेह गयी
पत्तो के टूटने के सदा घुट के रेह गयी
जंगल मे दूर दूर हवा का पता ना था
जंगल मे दूर दूर हवा का पता ना था
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे
राशिद किसे सुनाते गली में तेरी ग़ज़ल
राशिद किसे सुनाते गली में तेरी ग़ज़ल
उसके मकां का कोई दरीचा खुला न था
उसके मकां का कोई दरीचा खुला न था
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
पत्थर सुलग रहे थे