Baad Marne Ke Mere

Pankaj Udhas

लाख तूफान उठे
आँधिया आए जितनी
शम्मा जो हुँने
जलाई हैं जलाए रखना
हुँने जिस खाक को
सींचा हैं लाहूं से अपने
अपने माथे पे
वोही खाक सजाए रखना

बाद मरने के मेरे
मेरे वतन के लोगो
मुट्ठी भर ख़ाके वतन
मेरे कफ़न में रखना
फूल जो हुँने खिलाए हैं
लाहूं से अपने
उनकी खुसबू कोई सी
तरह चमन में रखना
बाद मरने के मेरे

ये वतन जिसकी जवान
माँग सजाने के लिए
कितनी बहानो ने सुहाग
के बलिदान दिए
जिन उसुलो के लिए माओ ने
अपने जवान बेटे मुश्कूरके
देश की धरती पर कुर्बान किए
उन उसुलो की कोई आग
बदन में रखना
उन उउलो की कोई आग
बदन में रखना
बाद मरने के मेरे
मेरे वतन के लोगो
मुट्ठी भर ख़ाके वतन
मेरे कफ़न में रखना

ये धरती हैं सबकी मा
कोई दुख ना इससे पोहछाए
नानक गौतम का ये वतन एक रहे
हम जहाँ में हो ना हो
लेकिन दुआ हैं दोस्तो
ये मिट्टी हैं अपना बदन
ये बदन एक रहें
मेरी कुर्बानी की तुम
लाज़ वतन में रखना
मेरी कुर्बानी की तुम
लाज़ वतन में रखना
बाद मरने के मेरे
मेरे वतन के लोगो
मुट्ठी भर ख़ाके वतन
मेरे कफ़न में रखना
फूल जो हुँने खिलाए हैं
लाहूं से अपने
उनकी खुसबू कोई सी
तरह चमन में रखना
उनकी खुसबू कोई सी
तरह चमन में रखना
मुट्ठी भर ख़ाके वतन
मेरे कफ़न में रखना
ऊ मुट्ठी भर ख़ाके वतन
मेरे कफ़न में रखना

Curiosidades sobre la música Baad Marne Ke Mere del Pankaj Udhas

¿Cuándo fue lanzada la canción “Baad Marne Ke Mere” por Pankaj Udhas?
La canción Baad Marne Ke Mere fue lanzada en 2008, en el álbum “Shagufta Vol. 3”.

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