Duaa [Cover]
Jonita Gandhi
किसे पूछूँ है ऐसा क्यूँ
बेजुबां सा ये जहां है
खुशी के पल कहाँ ढूँढूँ
बेनिशां सा वक़्त भी यहाँ है
जाने कितने लबों पे गिले हैं
ज़िन्दगी से कई फासले हैं
पसीजते हैं सपने क्यूँ आँखों में
लकीरें जब छूते इन हाथों से यूँ बेवजह
जो भेजी थी दुआ
वो जा के आसमां से यूँ टकरा गयी
कि आ गयी है लौट के सदा
जो भेजी थी दुआ आ आ
वो जा के आसमां आ से यूँ टकरा गयी
कि आ गयी है लौट के सदा