Woh Raaz Ho
Brite Roy
कभी साज़ में बनके आए गाज़ल
तुम पास हो
तुम पास हो
जब रातों की खामोशी जाए बदल
वो राज़ हो
वो राज़ हो
कभी साज़ में बनके आए गाज़ल
तुम पास हो..
तुम पास हो
भीनी भीनी रोशनी
पलकों में रहती है
झिरी झिरी बारिशें
कानो मे कहती हैं
जब मरहमी रातों की हो पहेल
वो आवाज़ हो
जब रातों की खामोशी जाए बदल
वो राज़ हो
वो राज़ हो
धुआँ धुआँ शामों में
बार्हम छाती है
नमी तेरे आँखों में
गम छुपाती है
पलकें मूंद के
हाँ तुझको ढूंढ के
जब दर्द मे आहें आए निकल
कुछ ख़ास हो
कुछ ख़ास हो
वो राज़ हो
वो राज़ हो