Suman Saman Tum Apna
Ravindra Jain
सुमन समान तुम अपना
खिला खिला मन रखना
खुशबू लुटाते रहना
खुशबू लुटाते रहना
चाहे पड़े
काटो पे तन रखना
सुमन समान तुम अपना
खिला खिला मन रखना
दुनिया में फूलो का सानी नहीं कोई
फूलों से बढ़के यहा दानी नहीं कोई
दिल बहलाता रहे सदा बुलबुल का
दिल बहलाता रहे सदा बुलबुल का
खुलके न बंद हुआ डर कभी गुल का
सुमन समान तुम अपना
खिला खिला मन रखना
दूर से आये किरण लेके उजियारा
चिर के जाये वो तो हर अँधियारा
चाँद सूरज के तन से निकल के
आये रे हमारे
लिए गगन से चलके
किरण समान तुम अपना
घुला घुला मन रखना
ज्योत लूटते रहना
चाहे पड़े शोलो पे तन रखना
सुमन समान तुम अपना
खिला खिला मन रखना
खिला खिला मन रखना
ह्म ह्म ह्म ह्म