Kai Din Se Mujhe [LoFi Flip]
Ravindra Jain
कई दिन से मुझे कोई सपनो में
आवाज़ देता था हर पल बुलाता था
अच्छा तोह वोह तुम हो तुम हो तुम हो
अक्सर मेरा मन केहता था
छुपकर कोई आता है
हलचल मचाता है
अच्छा तोह वोह तुम हो तुम हो तुम हो
आती जाती लेहरों की तरह
साहिल पे आके लौट ना तू जाना
तूम भी कही गैरों की तरह
जी देखो देखो ऑंखें ना चुराना
इस पल से आखरी पल तक(इस पल से आखरी पल तक)
संग संग अब रेहना है(संग संग अब रेहना है)
कई दिन से मुझे कोई सपनो में
आवाज़ देता था हर पल बुलाता था
अच्छा तोह वोह तुम हो तुम हो तुम हो