Ankhiyon Ke Jharokhon Se [Part 2]
Ravindra Jain
कुछ बोलके खामोशियाँ तड़पाने लगी हैं
चुप रहने से मजबूरियाँ याद आने लगी हैं
कुछ बोलके खामोशियाँ तड़पाने लगी हैं
चुप रहने पे मजबूरियाँ याद आने लगी हैं
तू भी मेरी तरह हंस ले
आँसू पलकों पे थाम के
तू भी मेरी तरह हंस ले
आँसू पलकों पे थाम के
जितनी है खुशी यह भी अश्कों में ना बह जाए
अखियों के झरोखों से, मैने देखा जो सांवरे
तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए
बंद करके झरोखों को, ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम्हीं मुस्काये, मन में तुम्हीं मुस्काये