O Saki Saki
Sumit Goswami
ज़रा कभी मेरी नज़र से खुद को देख भी
है चाँद में भी दाग पर ना तुझमे एक भी
खुद पे है हक़ मेरा तेरे हवाले कर दिया
जिस्म का हर रुआं तेरे हवाले कर दिया
जो भी है सब मेरा तेरे हवाले कर दिया
जिस्म का हर रुआं तेरे हवाले कर दिया