Awaaz
कोई कैसे पुकारे
ले गया है आवाज़ मेरी
कोई कैसे पुकारे
रुक जाती हैं ये ज़िंदगी
रुक जाती हैं ये ज़िंदगी
जब इश्क़ ये मारे
ले गया है आवाज़ मेरी
कोई कैसे पुकारे
ले गया है आवाज़ मेरी
कोई कैसे पुकारे
दिन गुज़रे गम के साए में
रातों में तन्हाई
अजनबी अजनबी लगे हैं
हमको सारी खुदाई
अजनबी अजनबी लगे हैं
हमको सारी खुदाई
और गम्घीन हो जाए
जब ये टूटे तारे
ले गया है आवाज़ मेरी
कोई कैसे पुकारे
ले गया है आवाज़ मेरी
कोई कैसे पुकारे
मर मिटे हैं वो किसी पे
जिनपे हम मरते रहे
वो बुत दौलत वाले ले गये
जिसकी पूजा करते रहे
वो बुत दौलत वाले ले गये
जिसकी पूजा करते रहे
आज भी सोचे मॅन मेरा, हाँ
आज भी सोचे मॅन मेरा
बेईमान तेरे बारे
ले गया है आवाज़ मेरी
कोई कैसे पुकारे
ले गया है आवाज़ मेरी
कोई कैसे पुकारे