Makhmali
Hardik Vaghela
फिर से आई वोही रात है
सुबह से जो मिलने को खिल रहीं
सहमे मेरे ना जज़्बात है जज़्बात है
तू जो यहाँ दिल मेरा है यहीं
नज़रे जो मिली है
पिघला है जहाँ
परवाह अब नहीं है
होगा क्या समा
अकेली भीड़ में हम मिले ज़रा
मखमली बात से
अजनबी रात से
दिल फ़ना इश्क़ बेबाक है
जूसतुजू है यहीं फ़ासले ना रहे
दिल फ़ना इश्क़ में बेबाक है
दिल को फ़ना कर
आस जगा कर
होना ना तू बेख़बर
मुझसे बेख़बर
बस ये दुआ कर
पलके उठे अगर
आए तू ही तू नज़र
तू ही हर पहेर
ले चल तू साथ में
भर ले यूँ साँस में
दो दिलो का है कारवाँ
आतिश ये ना बुझे
रोके अब ना रुके
आफ्रीं सी दास्तान
कुरबत में तेरी ही
दिलकश है जहाँ
बाहों में सुकून है
रहने दे यहाँ
तू मेरी ज़मीन भी
अर्श तू मेरा
मखमली बात से
अजनबी रात से
दिल फ़ना इश्क़ बेबाक है (इश्क़ बेबाक है)
जूसतुजू है यहीं
फ़ासले ना रहे
दिल फ़ना इश्क़ बेबाक है
इश्क़ बेबाक है