Mohabbat
Vayu
यूँ तो है तुम्हारे लाख चाहने वाले
लाखों में हो तुम जो एक ही
फिर भी सोचता हूँ मैं तुम्हें बता दूँ
बात ये जो तुमसे ना कहीं
कुछ इस तरह से तुमको चाहेंगे हम
तुम्ही से लड़ेंगे तुमको मनाएंगे हम
तुम्हें अपने दिल की धड़कन बनाएंगे हम
मोहब्बत तो कर के देखो निभाएंगे हम
मिला हूँ जो तुमसे है सच बस यही के
इसे मैं खुदा की रजा मान लूँ
तभी ज़िन्दगी को समझ मैं सकूंगा
तुम्हें जीने की जो वजा मान लूँ
तुम्हें जीने की वजा मान लूँ
मान लूँ
कहीं अब किसी से दिल ना लगाएंगे हम
तुम्ही से लड़ेंगे तुमको मनाएंगे हम
इक तेरे ही आगे खुद को झुकाएंगे हम
मोहब्बत तो कर के देखो निभाएंगे हम
क्यूं उतारे चाँद तारे तेरी राहों में हम
इस जहाँ के नूर सारे तेरे आगे कुछ ना सनम
तु जिधर हो जहाँ हो मेरा वादा है ये
इस जनम से हर जनम तक तेरे ही रहेंगे हम