Sochta Hoon Ke

ALTAF RAJA, LIYAKAT AJMERI, TASNIM FAROOQUIE

सोचता हूँ की वो कितने मासूम थे
सोचता हूँ की वो कितने मासूम थे
क्या से क्या होगये देखते देखते
सोचता हूँ की वो कितने मासूम थे
क्या से क्या होगये देखते देखते
प्यार की कसमे खाते थे जो हर घड़ीई
प्यार की कसमे खाते थे जो हर घड़ीई
बेवफा हो गये देखते देखते
बेवफा हो गये देखते देखते

इन आँखो ने जो कुछ देखा
आए दिल ये बीटीये किस मूह से कहे
शायद कोई ख्वाइश रोती रहती है
मेरे अंदर बारिश होती रहती है
दुश्मन खुल कर सामने आते रहते है
दुश्मन खुल कर सामने आते रहते है
दोस्ती मे शाजिश होती रहती है
इन आँखो ने जो कुछ देखा
आए दिल ये बीटीये किस मूह से कहे

लोवे कहने से कहा उठते है
बेहतर है यही खामोश रहे
अपना साया अपना साया समझते थे जिनको कभी
वो जुधा हो गये देखते देखते
वो जुधा हो गये देखते देखते

दिल शीशा साँझ के तोड़ दिया
जो बहुत होशमंड बनता है
दर्द हक़ीकत उस्शे भी होश नही
जो बहुत होशमंड बनता है
दर्द हक़ीकत उस्शे भी होश नही
ज़िंदगी के शराब खाने मे
कौन है जो शराबनोश नही
दिल शीशा साँझ के तोड़ दिया
दिल शीशा साँझ के तोड़ दिया
मंज़िल पे लाके छोड़ दिया
हुँने इन प्यासे ओठो का
पैमानो से रिस्ता जोड़ लिया
जो पता पूछते थे किसी का कभी
लापता होगआय देखते देखते
लापता होगआय देखते देखते
सोचता हूँ की वो कितने मासूम थे
प्यार की कसमे खाते थे जो हर घड़ी
प्यार की कसमे खाते थे जो हर घड़ी
प्यार की कसमे खाते थे जो हर घड़ी
बेवफा हो गये देखते देखते
बेवफा हो गये देखते देखते

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