O Manjhi Re
Rahul Jain, R. D. Burman, Gulzar
साहिलों पे बहने वाले कभी सुना तो होगा कहीं
कागजों की कश्तियों का कहीं किनारा होता नहीं
ओ माझी रे, माझी रे
कोई किनारा जो किनारे से मिले वो अपना किनारा है
ओ माझी रे...ओ माझी रे
पानीयों में बह रहे हैं, कई किनारे टूटे हुये
रासतों में मिल गये हैं सभी सहारे छूटे हुये
कोई सहारा मझधारे में मिले जो अपना सहारा है
ओ माझी रे , ओ माझी रे
ढूंढे'किनारा ,नदिया की धारा है
ओ माझी रे , ओ माझी रे,ओ माझी रे