Ek Ajnabee Haseena Se
Rahul Jain
वो अचानक आ गई यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
वो अचानक आ गई यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
चेहरे पे ज़ुल्फ़ें बिखरी हुई थी दिन में रात हो गई
एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई
जान-ए-मन जान-ए-जिगर होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
जान-ए-मन जान-ए-जिगर होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
मैंने ये कहा तो मुझसे ख़फ़ा वो जान-ए-हया हो गई
एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई
खूबसूरत बात ये चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
खूबसूरत बात ये चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
मैं अकेला था मगर बन गई वो हमसफ़र
वो मेरे साथ हो गई
एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई
फिर क्या हुआ ये ना पूछो कुछ ऐसी बात हो गई