Dhoop
Vibha Saraf
धूप निकली है वहीं(आ)
सज़ा था चाँद कभी(हं)
खिली उमंग नयी
फिर से उड़ी मैं
हो ओ ओह ओ
धूप निकली है वहीं(आ)
सज़ा था चाँद कभी(आ)
खिली उमंग नयी(हं)
फिर से उड़ी मैं(आ)
हो ओ ओह ओ
धूप निकली है वहीं(आ)
सज़ा था चाँद कभी(हं)
खिली उमंग नयी
फिर से उड़ी मैं
हो ओ ओह ओ
धूप निकली है वहीं(आ)
सज़ा था चाँद कभी(आ)
खिली उमंग नयी(हं)
फिर से उड़ी मैं(आ)
हो ओ ओह ओ