Sunn
Biddu, S. Akhtar
सुन मेरे महबूब सुन
मेरे साँसों से सुन
मेरे गीतों की धुन
तू है कहाँ
सुन मेरे महबूब सुन
मेरे साँसों से सुन
मेरे गीतों की धुन
तू है कहाँ
नींदे पलकों से भागे
रातें आँखों मैं जागे
दिन हूँ बहके बहके
दिल की दुनिया महके
तू तू जो आजए तो
गुगुनाए हवा
मुस्कुराए फ़ज़ा
झूमे जहाँ
जीवन सूना है ऐसे
पंछी सेहरा मैं जैसे
पूछे तेरी बातें
आती जाती रातें
आ मैं हूँ तेरे लिए
तू है मेरे लिए
अब बाहर आए या जाए खीज़ा
सुन मेरे महबूब सुन
मेरे साँसों से सुन
मेरे गीतों की धुन
तू है कहाँ
सुन मेरे महबूब सुन
मेरे साँसों से सुन
मेरे गीतों की धुन
तू है कहाँ
आ ओ ऊऊ
ललालालाला