Ab Ke Hum Bichhre To Shayad

Ahmad Faraz

अब के हम बिच्छड़े
शायद कभी
ख्वाबों में मिले
अब के हम बिच्छड़े
शायद कभी
ख्वाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए
फूल किताबों में मिले
अब के हम बिच्छड़े
तो शायद

ढूंड उजड़े हुए
लोगों में वफ़ा के मोती
ढूंड उजड़े हुए
लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है
खरबों में मिले
अब के हम बिच्छड़े तो शायद

तू खुदा है ना मेरा
इश्क़ फ़रिश्तो जैसा
तू खुदा है ना मेरा
इश्क़ फ़रिश्तो जैसा
दोनो इंसान हैं तो
इनूं इतने हिजाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए
फूल किताबों में मिले
अब के हम बिच्छड़े तो शायद

गम ए दुनिया भी
गम ए यार में
शामिल कर लो
गम ए दुनिया भी
गम ए यार में
शामिल कर लो
नशा बहता है
शराबों में
तो शरबों में मिले
अब के हम बिच्छड़े तो शायद

अब लबों में हूँ ना तू है
ना वो माजी है फराक़
अब लबों में हूँ ना तू है
ना वो माजी है फराक़
जैसे दो साए टमाना के
सराबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए
फूल किताबों में मिले
अब के हम बिच्छड़े तो शायद

Curiosidades sobre la música Ab Ke Hum Bichhre To Shayad del मेहदी हस्सान

¿Quién compuso la canción “Ab Ke Hum Bichhre To Shayad” de मेहदी हस्सान?
La canción “Ab Ke Hum Bichhre To Shayad” de मेहदी हस्सान fue compuesta por Ahmad Faraz.

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