Inteha Mohobbat Ki
इंतेहा मोहब्बत की, पार कर गये होते
इंतेहा मोहब्बत की, पार कर गये होते
तुम अगर नही मिलते, हम तो मार गये होते
हम तो मार गये होते
हा इंतेहा मोहब्बत की, पार कर गये होते
इंतेहा मोहब्बत की, पार कर गये होते
तुम अगर नही मिलते, हम तो मार गये होते
हम तो मार गये होते
दर्द बनके हर इक धड़कन, आज़मा रही थी
बेखुदी भी अपनी खुद पे, मुस्कुरा रही थी
हो दर्द बनके हर इक धड़कन, आज़मा रही थी
बेखुदी भी अपनी खुद पे, मुस्कुरा रही थी
मिल रही थी खुशिया भी, साथ साथ गम भी थे
कुछ उदास तुम भी थे, कुछ उदास हम भी थे
टूटकर सभी सपने, यूँ बिखर गये होते
टूटकर सभी सपने, यूँ बिखर गये होते
तुम अगर नही मिलते, हम तो मार गये होते
हम तो मार गये होते
ख़त्म कर दिया अब हमनें, बढ़ते फसलो को
ढूँढ ही लिया हैं आख़िर, अपनी मंज़िलो को
हो ख़त्म कर दिया अब हमनें, बढ़ते फसलो को
ढूँढ ही लिया हैं आख़िर, अपनी मंज़िलो को
दासता जो कल तक थी, आज वो हक़ीकत हैं
कुछ हैं ये दीवानापन, कुछ तो अपनी किसमत हैं
दिल की राह मे ग़म के, रंग भर गये होते
दिल की राह में ग़म के, रंग भर गये होते
तुम अगर नही मिलते, हम तो मार गये होते
हम तो मार गये होते
हा इंतेहा मोहब्बत की, पार कर गये होते
इंतेहा मोहब्बत की, पार कर गये होते
तुम अगर नही मिलते, हम तो मार गये होते
हम तो मार गये होते
हम्म हम्म
हम्म हम्म