Yaad
हाल अपना कहे किसको
किसे दिल की बताये रे
वक़्त बेवक़्त की बरसात
क्युं मुझको सताये रे
बूँदें बनके यादें बरसे
भीगने को मन कर जाए रे
फिर तू किसी बहाने
याद आने लगी हैं मुझको
फिर तू किसी बहाने
याद आने लगी हैं मुझको
जाने तू भी जानू मैं भी
क्या हैं हाल-ए-दिल
भूले बीते रास्तों पे
आ कभी तो मिल
मैंने वो चादरों की
सिलवटों को संभाले रखा हैं
धड़कन क्या चीज़ हैं ये
दिल तेरे ही हवाले रखा हैं
छूना चाहु छू ना पाऊं
दूर तू खड़े मुस्काये रे
फिर तू किसी बहाने
याद आने लगी हैं मुझको
फिर तू किसी बहाने
याद आने लगी हैं मुझको