Mohabat Ka Yehi
रु रु रु रु रु रु रु रु रु
रु रु रु रु रु रु
मोहब्बत का यही हासिल
के याद ही बनी कातिल
ख़यालो पर तुम छाए
बहुत याद आए, बहुत याद आए
तुम्हारी गहरी पलके
वो उनमे प्यारी आँखे
वो उनमे प्यार के साए
बहुत याद आए, बहुत याद आए
रु रु रु रु रु रु रु रु
रु रु रु रु रु रु रु रु
शिकायत है बहारो को
बहारो को, नज़ारो को
बुलाते है ये सब तुमको
ओ ओ ओ ओ
मेरी खामोश शामों को
मेरी बेचैन आँखो को
जो हर पल ढूँढे है तुमको
जो हर पल ढूँढे है तुमको
वो महकी महकी साँसे
वो चहकी चहकी बाते
ख़यालो पर तुम छाए
बहुत याद आए, बहुत याद आए
तू तू तू तू तू तू तू तू तू
तू तू तू तू तू तू तू तू तू
तू तू तू तू तू तू तू तू तू
तू तू तू तू तू तू तू तू तू
तू तू तू तू तू तू तू तू तू
लिखी है जाने क्या किस्मत
मगर इतनी सी है हसरत
हो शामिल ज़िंदगी मे तुम
ओ ओ ओ ओ
सुबह सूरज उगेगा जब
या रात को चाँद निकले तब
मेरी बाहो मे बस हो तुम
मेरी बाहो मे बस हो तुम
वो रोशन चाँद सा चेहरा
सियाह ज़ुल्फो का वो पहरा
ख़यालो पर तुम छाए
बहुत याद आए, बहुत याद आए
मोहब्बत का यही हासिल
के याद ही बनी कातिल
ख़यालो पर तुम छाए
बहुत याद आए
तुम्हारी गहरी पलके
वो उनमे प्यारी आँखे
वो उनमे प्यार के साए
बहुत याद आए, बहुत याद आए