Maati Ko Maa Kehte Hain

Manoj Muntashir

अंबर तले जग रहे हम तेरे
आंचल तले रहते हैं
अंबर तले जग रहे हम तेरे
आंचल तले रहते हैं
दुनिया में हम ही अकेले हैं जो
माटी को मां कहते हैं
माटी को मां कहते हैं

जागे तेरे लिए सारी उम्र
तू ही आना सुलाने हमें
सर तेरा ऊंचा रहे ऐ वतन
कोई जाने ना जाने हमें
जागे तेरे लिए सारी उम्र
तू ही आना सुलाने हमें
सर तेरा ऊंचा रहे ऐ वतन
कोई जाने ना जाने हमें
कोई जाने ना जाने हमें
हो खुश्बू के जैसे हवाओं में
हम गुमनाम से बहते हैं
हो खुश्बू के जैसे हवाओं में
हम गुमनाम से बहते हैं
दुनिया में हम ही अकेले हैं जो
माटी को मां कहते हैं
माटी को मां कहते हैं

जिस्मों पर वर्दी न कांधे सितारे
जिस्मों पर वर्दी न कांधे सितारे
ना झंडे झुकेंगे जिकर पे हमारे
पर जान निसारी की जब बात होगी
आगे मिलेंगे कतारों में हम
तो क्या ज़मीन पे रहें न रहें
मुस्कुराएंगे तारों में हम
मुस्कुराएंगे तारों में हम
वो बाग हसता रहे हम जिसे
हिंदुस्तान कहते हैं
वो बाग हसता रहे हम जिसे
हिंदुस्तान कहते हैं
दुनिया में हम ही अकेले हैं जो
माटी को मां कहते हैं
माटी को मां कहते हैं
माटी को मां कहते हैं
हम माटी को मां कहते हैं

माटी को मां कहते हैं
माटी को मां कहते हैं
हम माटी को मां कहते हैं
माटी को मां कहते हैं
माटी को मां कहते हैं
हम माटी को मां कहते हैं
माटी को मां कहते हैं

Curiosidades sobre la música Maati Ko Maa Kehte Hain del Sonu Nigam

¿Quién compuso la canción “Maati Ko Maa Kehte Hain” de Sonu Nigam?
La canción “Maati Ko Maa Kehte Hain” de Sonu Nigam fue compuesta por Manoj Muntashir.

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