Darad Bate
Raushan Singh, Ajit Mandal
पहिला बा राती छाती जनी डहकाई।
बथता कमर हमर हरदिया लगाई ।।2
बती बुताई जनी मन अगुताई जनी
पलाई पलंग के न हिली ।
अबही दर्द बाटे ताजा माजा राजा जी न हऊ वाला मिली। ।
अंतरा 01
न जबरी करी जी जिद जनी धरी जी
बात बा कुछ दिन के सबर तनी करी जी ।।2
धरी कलाई जनी गाल सहलाई जनी
बुझिन हमके चिकन चिली
अब ।।।।।
अंतरा 02
कमर ना सहता पेन बडी बढता
ऊपाये करीका मन बडी डरता।। 2
बानी निरोग अभी करी जनी भोग अभी ।
आज भर जायेदी ढीली ।।
अभी।।।।।