Roj Raaton Ke Parde Gira Kar [Duet]

Majrooh Sultanpuri

रोज रातो के परदे गिरा कर
रोज रातो के परदे गिरा कर
जागु मैं तेरी तस्वीर लेके
के मैं देखूं तुझे जब भी चाहु
दूसरा और कोई ना देखे
रोज रातो के परदे गिरा कर

मैंने माना की बिजली नहीं तू
ना तू सूरज सा किरणे लुटाये
आदमी हैं मगर फिर भी तुझको
आदमी हैं मगर फिर भी तुझको
कोई देखे तो देखा ना जाये
कोई तुझको चुरा ले ना मुझसे
जागु मैं तेरी तस्वीर लेके
रोज रातो के परदे गिरा कर

जब भी काजल लगाती हूँ जानम
नाम तेरा ही लिखती हूँ दिल पे
जब भी काजल लगाती हूँ जानम
नाम तेरा ही लिखती हूँ दिल पे
हा लट सवारू तो ये पूछती हैं
कब मैं बिखरुंगी साजन से मिलके
अब तो आजा कही से तू आजा
जागु मै तेरी तस्वीर लेके
रोज रातो के परदे गिरा कर

कल तलक मैंने राते गुजारी
मेहजबीनो की बाहों के नीचे
दिन को भटका किया डाली डाली
हर कली और हर गुल के पीछे
अब तेरा सिर्फ तेरा दीवाना
जागु मैं तेरी तस्वीर लेके
रोज रातो के परदे गिरा कर

जागु मैं तेरी तस्वीर लेके
के मैं देखूं तुझे जब भी चाहु
दूसरा और कोई ना देखे

रोज रातो के परदे गिरा कर (रोज रातो के परदे गिरा कर)
रोज रातो के परदे गिरा कर (रोज रातो के परदे गिरा कर)

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