Pankh
Says on the beat
अब उड़ चले
हम तुम कहाँ यहाँ, यहाँ
उठो बनो बड़ा पढ़ो लिखो दिल हो ना हो बोलो जो बोले
जो ना माने पिटो बेटा लाओ ला डंडा
क्या बात है, क्या बात है
पांव छुओ, चलो क्या बात है
गये कहाँ संस्कार तेरे
जीता गलतफहमी मे तू सोचे घूमे आगे पीछे संसार तेरे
पहले धन छाप बेटे उने घंटा ख़ेद है
होती light नहीं उस शहर मे जहा पंखा fail है, बोल धब्बा
पुरे दिन घड़ी phone मे नज़र
लाडसाहब की लालसा भी गुम चल जग जा
टूटे दिल बजे phone मे ग़ज़ल
आज रात की बात है कल जाम है, बे हस जा
ये धन है जड़ हैं मर हैं लोग (फस जा)
ले बहन वो पहन makeup लगा (थम जा)
भेजा दो हाथ ये पैर पढ़े (कम क्या)
पंख हैं तो पुरे फैला बस क्या
हर कोई बांसुरी बजते ही बस मे
चले बस ना किसिका एक ही बस मे
बैठे सभी बस्तों मे लिए टूटे सपने
बचने को जगह नहीं बची तो मरें बच्चे (ढक दो)
ये लाश ये आंसू खून ये जान (मत लो)
है सारी शासन झूठ ये बात (रट लो)
उठा भरोसा साफ़ है सब यहाँ खाली छोड़ हैं बाहर उड़ान भरलो
चल चले
हम तुम वहाँ
जहाँ हो धुन नई
आँख खोल, उपर देख, पंखो को फैला भर उड़ान (उपर ही, उपर ही)
आँख खोल, उपर देख, पंखो को फैला भर उड़ान (उपर ही, उपर ही)
पता होता मुझे साली बात बढ़ जाएगी, तो चुप ही रहता
चल चुप हू मैं बता, फिर तू क्यूँ है सहता
(घर पे सुनता स्कूल पे सुनता)
बता मुझे की तू क्यू है सहता
(सब से सुनता डर की सुनता)
बता मुझे की तू क्यू है बहका
खुद से टुच्चे लोग तुझे बोले सस्ता
उनसे खुद पे load लेके भूल ना रस्ता पर आ
तेरी पलकों पे लेटा लिखुँ आधी नींद मे (नींद मे)
इतना तो जायज़ है (शायद से जायज़ है जायज़ है जायज़ है)
प्यार से ज्यादा है प्यारा
साधु की नीयत से न्यारा
एक पंछी के पंखो से हल्के से हल्का ये रिश्ता हमारा
इतना सा कहना मैं चाह रहा, की अब मुझपे नहीं है कोई चारा
मैं जी लिया काफी बेचारा सा, industry देती है चारा
जिसे मैं घंटा नि खा रहा था
क्या कहा था इनसे जब शुरू मैं करने था जा रहा
चलना है मंज़िल तक मैं चलता ही जा रहा
(चलेगा)
किसी की आँखो मे मैं तारा
किसी की आँखो मे आवारा
बस तेरी आँखो का सहारा था
चल चले, हम तुम वहाँ
जहाँ हो धुन नई
आँख खोल, उपर देख, पंखों को फैला और भर उड़ान (उपर ही, उपर ही)
आँख खोल, उपर देख, पंखों को फैला और भर उड़ान (उपर ही, उपर ही)
भर उड़ान