Mohabbat Ke Kabil
इतनी जल्दी तो बदलते नहीं मौसम कभी
जितनी जल्दी बदल दी मोहब्बत तुमने
बा-खुदा और किसी पे ये करम ना करना
जिस तरह दिल पे मेरे की है इनायत तुमने
तुम तो कहते थे
हम लाज़मी है सनम
तुम तो कहते थे
हम लाज़मी है सनम
ख्वाब वाली हर इक
रात के वास्ते
मन्नते मिन्नतें
क्या ना करते थे तुम
हमसे बस इक मुलाक़ात के वास्ते
ये कहानी मगर तब की है जब
हम हुए तुमको हासिल नहीं थे
आज तुमको पता ये चला है
हम मोहब्बत के काबिल नहीं थे
आज तुमको पता ये चला है
हम मोहब्बत के काबिल नहीं थे
हम मोहब्बत के काबिल नहीं थे
क्यूँ हथेली पे अपनी हमेशा मुझे
नाम लिख लिख के मेरा दिखाते रहे
वो खुदा भी तो होगा ज़रा सा ख़फ़ा
जिसकी झूठी कसम रोज़ खाते रहे
वो बात शायद तुम्हे
आज भी याद होगी जो कल याद थी
दो चार दिन हम तुम्हे ना मिले थे
तो आँखों में फ़रियाद थी
दिल धड़कता नहीं था तुम्हरा
हम जो धड़कन में शामिल नहीं थे
आज तुमको पता ये चला है
हम मोहब्बत के काबिल नहीं थे
हम मोहब्बत के काबिल नहीं थे
आज भी उस गली में ही है घर मेरा
जागते थे तुम्हारे सवेरे जहाँ
मेरे कमरे अब तक वो मौजूद है
छोड़ जाते थे जो इश्क़ वाले निशाँ
हमने कभी शर्त रखी ना कोई
कहा जो तुम्ही ने कहा
अब फ़ासले याद आये तुम्हे
फ़ासला ना जब कोई रहा
डूब जाते थे जब इस नज़र में
याद तब तुमको साहिल नहीं थे
आज तुमको पता ये चला है
हम मोहब्बत के काबिल नहीं थे
हम मोहब्बत के काबिल नहीं थे आ