Jal Pari
डरसे चला यूही मगर
कैसे हुवी उसको खबर
साहिल पे में ठहरा ज़रा
पानी मैं जो साया बना
पिर्थि चलती रोशनी की
जो लहरा गयी एक पल मैं
वो नज़र आ गयी
वो जल परी छूके मुझे कहने लगी
मेरी तरह तेरे लिए कोई नही
यह क्या हुवा पानी नही
सागर नही वो जल परी
घर मैं मेरे रहने लगी हे
वो पास हो मेरे कहीं
ऐसा कभी सोचा नहीं
वो ज़िंदगी में साथ हो
ऐसा कोई सपना नहीं
हो गया हे फिर कही पे आमना सामना
फिर खुदा से और क्या माँगना
वो जल परी छूके मुझे कहने लगी
मेरी तरह तेरे लिए कोई नही
यह क्या हुवा पानी नही
सागर नही वो जल परी
घर मैं मेरे रहने लगी हे ए ए
वो जल परी छूके मुझे कहने लगी
मेरी तरह तेरे लिए कोई नही
यह क्या हुवा पानी नही
सागर नही वो जल परी
घर मैं मेरे रहने लगी
वो जल परी छूके मुझे कहने लगी
मेरी तरह तेरे लिए कोई नही
यह क्या हुवा पानी नही
सागर नही वो जल परी
घर मैं मेरे रहने लगी
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला