Dulhan Koi Jab

Rani Malik

दुल्हन कोई जब जब रचाती है मेहँदी
तो मयके की यादें भूलाती है मेहँदी
दुल्हन कोई जब जब रचाती है मेहँदी
तो मायके की यादें भूलाती है मेहँदी
निगाहों में जितने है सपने कँवरे
सभी को सुहागन बनाती है मेहँदी

दुल्हन कोई जब जब रचाती है मेहँदी
तो मायके की यादें भूलाती है मेहँदी

सभी बेटियां किसी की अमानत
यही रीत दुनिया में सब ने निभायी
पति और पत्नी के पावन मिलान की
ये मेहँदी हमेसा बनी है गवाही

सभी जोडिया आसमा पर है बनती
जमी पे उन्ही को मिलाती है मेहँदी
दुल्हन कोई जब जब रचाती है मेहँदी
तो मायके की यादें भूलाती है मेहँदी
तो मायके की यादें भूलाती है मेहँदी

वो दहलीज रूठी वो ऑंगन भी छूटा
जहां से जन्मा और जाना था मैंने
वो डाली के जिस से मै उड़के गयी थी
वहा लौट कर तो ना आना था मैंने
हसाती है मेहँदी रुलाती है मेहँदी
बनाती है मेहँदी मिटाती है मेहँदी
बनाती है मेहँदी मिटाती है मेहँदी

नी रे सा नी ग
प म रे सा नी
आ आ आ आ आ

ये रिश्ते है रेशम के धागो के जैसे
इन्हे जैसे बांधो बधेंगे वैसे
करो दुर हर फासले का अँधेरा
जहा खुल गयी आँख समझो सवेरा
गीले और शिकवे मिटाती है मेहँदी
ये बिछडे हुओ को मिलाती है मेहँदी
गीले और शिकवे मिटाती है मेहँदी
ये बिछडे हुओ को मिलाती है मेहँदी
ये बिछडे हुओ को मिलाती है मेहँदी

आ आ आ आ
आ आ आ आ
आ आ आ आ
आ आ आ आ

Curiosidades sobre la música Dulhan Koi Jab del Sadhana Sargam

¿Quién compuso la canción “Dulhan Koi Jab” de Sadhana Sargam?
La canción “Dulhan Koi Jab” de Sadhana Sargam fue compuesta por Rani Malik.

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